Russia-Ukraine crisis करीब 16,000 भारतीय, पोलैंड के रास्ते लोगों को निकालने का प्लान: सरकार
India started evacuation operations of Indian citizens living in Ukraine and its adjoining areas. India has deployed Dreamliner B-787 aircraft for carrying out this special operation under which flights were made operational from Kharkiv in Ukraine to New Delhi
Citylive – रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। शुक्रवार को रूस के हमले के बाद से लगातार यूक्रेन के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस लाना देश के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसी बीच आज भारत सरकार ने ताजा जानकारी देते हुए कहा कि यूक्रेन में अभी भी करीब 16 हजार भारतीय हैं और इन्हें निकालने के लिए सरकार योजना बना रही है। बता दें कि यूक्रेन संकट पर गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि सरकार पोलैंड, रोमानिया, हंगरी और स्लोवाकिया की मदद से लोगों को निकालने की योजना बना रही है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी कुछ ही देर में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करेंगे। वही, विदेश मंत्री एस जयशंकर इन देशों के समकक्षों के साथ लोगों को निकालने में मदद करने के लिए बात करेंगे।
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में 4000 भारतीय नागरिक यूक्रेन से भारत लौट चुके हैं। दिल्ली में MEA कंट्रोल रूम को 980 कॉल और 850 ईमेल मिले हैं।
विदेश सचिव ने कहा कि यूक्रेन के चारों पड़ोसी देशों के रास्ते जमीनी मार्ग से भारतीय नागरिकों को निकाला जाएगा। इसके लिए विदेश मंत्रालय में रूसी भाषा बोलने वाले अधिकारियों की चार टीमों को भेजा गया है जो हंगरी, पोलैंड, स्लोवाक गणराज्य एवं रोमानिया में स्थित भारतीय मिशनों में तैनात अधिकारियों के साथ मिल कर काम करेंगे। एक सवाल के जवाब में श्री श्रृंगला ने यूक्रेन में फंसे छात्रों के माता पिता से अपील में कहा कि हम भारतीय छात्रों के संपर्क में हैं और उन्हें सुरक्षित निकालने की तैयारी की जा रही है।
भारतीय नागरिकों को निकालने में देरी के एक सवाल पर श्री श्रृंगला ने कहा कि भारतीय दूतावास ने 15 फरवरी से ही एडवायजरी जारी करनी शुरू कर दी थी और सभी भारतीयों से जरूरी नहीं होने पर तुरंत देश छोड़ने को कहा था। यूक्रेन में करीब 20 हजार भारतीय नागरिक थे जिनमें से करीब चार हजार वापस लौट चुके हैं। लेकिन छात्रों ने पढ़ाई के नुकसान के डर से रुकने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास ने शक्षिण संस्थानों एवं वश्विवद्यिालयों से ऑनलाइन कक्षाएं चलाने का अनुरोध किया है ताकि भारतीय छात्रों की पढ़ाई का नुकसान नहीं हो।